नमस्कार, मुद्राएं, यह हाथ के ऐसे संकेत हैं, जिन्हें शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए बनाया गया है। इन्हें योग और ध्यान या पॉजिटिव और नेगेटिव संबंधों को संतुलित करने के लिए बनाया गया है। योग वास्तव में ऊर्जा का ही संतुलन है और प्रतिदिन मुद्राओं का अभ्यास करके इस संतुलन को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
वायु मुद्रा
वायु मुद्रा से वात दोष दूर होते हैं। इसे किसी भी स्थिति में किया जा सकता है – बैठे, खड़े, सोते, चलते या प्राणायाम करते समय। तर्जनी अंगुली को अंगूठे के आधार पर दबाकर किया जाता है और अंगूठे को तर्जनी के ऊपर धीरे-धीरे दबाया जाता है। अन्य अंगुलियों को सीधा रखा जा सकता है। इसे 10-15 मिनट और 2-3 बार प्रतिदिन करना चाहिए। कुल मिलाकर, 30-45 मिनट प्रतिदिन अभ्यास से कई लाभ होते हैं। वायु मुद्रा तनाव, चिंता, गैस, सूजन, कब्ज, और शरीर के अन्य कई रोगों में मदद करती है।
ज्ञान मुद्रा
ज्ञान मुद्रा जीवन शक्ति और संतुलन को बढ़ाती है। इसे किसी भी ध्यान की मुद्रा में बैठकर किया जा सकता है। तर्जनी अंगुली को अंगूठे से स्पर्श करें और अन्य अंगुलियों को सीधा रखें। इसे 10-15 मिनट और 2-3 बार प्रतिदिन करना चाहिए। ज्ञान मुद्रा मानसिक शांति, ध्यान और बेहतर सोच में मदद करती है।
प्राण मुद्रा
प्राण मुद्रा जीवन ऊर्जा को संतुलित करती है। इसे जमीन या कुर्सी पर आराम से बैठकर किया जा सकता है। अंगूठे की नोक को अनामिका और छोटी अंगुली से स्पर्श करें और अन्य अंगुलियों को फैलाकर रखें। इसे 5-15 मिनट और 3 बार प्रतिदिन करना चाहिए। प्राण मुद्रा फेफड़ों के सही कार्य में मदद करती है और शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालती है।
अपान मुद्रा
अपान मुद्रा शरीर की अपान वायु को सक्रिय करती है। इसे जमीन या कुर्सी पर आराम से बैठकर किया जा सकता है। अंगूठे की नोक को अनामिका और मध्यमा से स्पर्श करें और अन्य अंगुलियों को फैलाकर रखें। इसे 10-15 मिनट और 2-3 बार प्रतिदिन करना चाहिए। अपान मुद्रा शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।
योन मुद्रा
योन मुद्रा योग और ध्यान के दौरान ऊर्जा के सही प्रवाह को सुनिश्चित करती है। इसे किसी भी ध्यान की मुद्रा में बैठकर किया जा सकता है। अंगूठे को कान, तर्जनी को आंख, मध्यमा को नासिका, और अन्य अंगुलियों को चेहरे पर सही स्थिति में रखें। इसे 5-10 मिनट और 2-3 बार प्रतिदिन करना चाहिए। योन मुद्रा मानसिक शांति और ध्यान में मदद करती है।
सूर्य मुद्रा
सूर्य मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को बढ़ाती है। इसे किसी भी ध्यान की मुद्रा में बैठकर किया जा सकता है। अंगूठे की नोक को अनामिका से स्पर्श करें और अन्य अंगुलियों को फैलाकर रखें। इसे 10-15 मिनट और 2-3 बार प्रतिदिन करना चाहिए। सूर्य मुद्रा वजन कम करने और ठंड के रोगों में मदद करती है।
अपने जीवन को सही ढंग से जीएं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।