आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से:
आयुर्वेद के अनुसार, दूध में भारी तत्व और ठंडक की प्रकृति होती है, जो इसे आसानी से पचने नहीं देती। इसलिए, दूध को उपयोग करने से पहले गर्म करना आवश्यक होता है। गाँवों में कच्चा दूध पीने की परंपरा होती है, लेकिन इसमें मौजूद ई.कोलाई, बैक्टीरिया और सैल्मोनेला जैसे माइक्रोऑर्गेनिज्म से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग कच्चे दूध से बचें।
दूध को उबालना:
दूध को 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, दूध को सुरक्षित और पोषक बनाने के लिए उसमें कुछ मसाले मिलाए जाने चाहिए। रोजाना दूध में एक चुटकी हल्दी, एक चुटकी काली मिर्च, इलायची या दालचीनी पाउडर और सौंठ या अदरक मिलाना चाहिए। यह न केवल दूध को पचाने में मदद करता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
वात, पित्त और कफ संतुलन:
दूध तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ – को संतुलित करने में मदद करता है। वयस्कों के लिए, सोने से पहले एक कप गर्म दूध पीना उचित पोषण और अच्छी नींद के लिए फायदेमंद होता है। बच्चों को सुबह जागते ही दूध पीने की सलाह दी जाती है।
व्यक्तिगत अनुभव:
मेरे बचपन में हमारे पास एक गाय थी, जिसे मैं बहुत प्यार करती थी। उसकी देखभाल और सम्मान से उसके दूध में भी पोषक तत्व बढ़ जाते थे। ऐसा दूध शरीर में पोषण, रिपेयर और ऊर्जा प्रदान करता है।
सारांश:
आयुर्वेद के अनुसार, दूध को अच्छी तरह से उबालकर उसमें कुछ मसाले मिलाकर पीना चाहिए। यह केवल शरीर को पोषण नहीं देता, बल्कि मन को भी शांत करता है। इसलिए, अपने दैनिक आहार में दूध को शामिल करें और इसके फायदों का आनंद लें।